इमामे हसन व हुसैन की फ़ज़ीलत
एक बार हज़रते इमामे हसन رَضِيَ اللَّهُ تَعَالَى عَنْهُ हाज़िरे खिदमते अक्दस हो कर हुजुरे पुरनूर صَلَّى اللهُ تَعَالَى عَلَيْهِ وَالِهِ وَسَلَّم के शानए मुबारक पर सुवार हो गए, एक साहिब ने अर्ज की: साहिबजादे !
इमाम हसन की सुवारी!
आप की सुवारी कैसी अच्छी सुवारी है। हुजुरे अक्दस صلى الله تعالى عليه واله وسلم ने फरमाया : "और सुवार कैसा अच्छा सुवार है हुजुरे पुरनूर صلى الله تعالَى عَلَيْهِ وَالِهِ وَسَلَّم सजदे में थे कि इमामे हसन رَضِيَ اللَّهُ تَعَالَى عَنْهُ
पुश्त मुबारक से लिपट गए, हुजूर عَلَيْهِ الصَّلُوةُ وَالسَّلَامِ सजदे को तूल दिया कि सर उठाने से कहीं गिर न जाएं।
जन्नती जवानों के सरदार👑
इमामे हसन और इमामे हुसैन رَضِيَ اللَّهُ تَعَالَى عَنْهُمَا की निस्बत इरशाद होता है "हमारे येह दोनों बेटे जवानाने जन्नत के सरदार हैं। और फ़रमाया जाता है : "इन का दोस्त हमारा दोस्त, इन का दुश्मन हमारा दुश्मन है।"
⚔️अर्श की तल्वारें
और फ़रमाते हैं: "येह दोनों अर्श की तल्वारें हैं।" और
फरमाते हैं: "हुसैन मुझ से है और मैं हुसैन से हूं, अल्लाह दोस्त रखे उसे जो हुसैन को दोस्त रखे, हुसैन सिब्त है इस्बात से।"
इमाम ए हुसैन और नबी के बेटे हज़रते इब्राहीम?
एक रोज़ हुजूरे पुरनूर صَلَّى اللَّهُ تَعَالَى عَلَيْهِ وَالِهِ وَسَلّم के दहने जानू पर इमामे हुसैन رَضِيَ اللَّهُ تَعَالَى عَنْهُ और बाएं पर हुजूर صَلَّى اللَّهِ تَعَالَى عَلَيْهِ وَالِهِ وَسَلَّم * के साहिब जादे हज़रते इब्राहीम رَضِيَ اللَّهُ تَعَالَى عَنْهُ बैठे थे, हज़रते जिब्रील عَلَيْهِ السَّلَام ने हाज़िर हो कर अर्ज की, कि "इन दोनों को खुदा हुजूर * )صلّى اللَّهِ تَعَالَى عَلَيْهِ وَالِهِ وَسَلَّم( के पास न रखेगा, एक को इख़्तियार फरमा लीजिये । हुजूर صَلَّى اللَّهُ تَعَالَى عَلَيْهِ وَالِهِ وَسَلَّم ने इमाम हुसैन رَضِيَ اللَّهُ تَعَالَى عَنْهُ * की जुदाई गवारा न फरमाई, तीन दिन के बा'द हज़रते इब्राहीम * رَضِيَ اللَّهُ تَعَالَى عَنْهُ का इन्तिकाल हो गया। इस वाक़िए के बा'द जब * हाज़िर होते, आप صَلَّى اللَّهُ تَعَالَى عَلَيْهِ وَالِهِ وَسلّم बोसे लेते और फ़रमाते : * مَرْحَبًا بِمَنْ فَدَيْتُهُ بِأَبَنِي ऐसे को मरहबा जिस पर मैं ने अपना बेटा कुरबान * किया।
इमाम हसन और हुसैन नबी के बेटे हैं?
और फ़रमाते हैं: येह दोनों मेरे बेटे और मेरी बेटी के बेटे हैं, इलाही मैं इन को दोस्त रखता हूं, तू भी इन्हें दोस्त रख और उसे दोस्त रख जो इन्हें दोस्त रखे ।
बतूल जहरा رَضِى اللَّهُ تَعَالَى عَنْهَا से फरमाते: "मेरे दोनों बेटों को लाओ, फिर दोनों को सूंघते और सीनए अन्वर से लगा लेते।"
महबूबाने बारगाहे इलाही ؤجل और कानूने कुदरत
जब हुजूरे पुरनूर صلى الله تعالى عليهِ وَالِهِ وَسَلَّم के येह इरशाद और शहज़ादों की ऐसी पासदारियां, नाज़ बरदारियां याद आती हैं और वाक़िआते शहादत पर नज़र जाती है तो हसरत की आंखों से आंसू नहीं, लहू की बूंदें टपकती हैं और खुदा की बे नियाज़ी का आलम आंखों के सामने छा जाता है, येह मुक़द्दस सूरतें खुदा عزوجل की दोस्त हैं और अल्लाह की आदते करीमा है कि दुन्यावी ज़िन्दगी में अपने दोस्तों को बलाओं में घिरा रखता है।
अल्लाह तआला के दोस्त?
एक साहिब ने अर्ज की, कि "मैं हुजूर से महब्बत रखता हूं। फ़रमाया: "फ़क़ के लिये मुस्तइद हो जा।" अर्ज की "अल्लाह तआला को दोस्त रखता हूं।" इरशाद हुवा : "बला के लिये आमादा हो।" और फ़रमाते हैं: "सख़्त तरीन बला अम्बिया عَلَيْهِمُ الصَّلُوةُ وَالسَّلَام पर है, फिर जो बेहतर हैं फिर जो बेहतर हैं।"
Refrence: 📚Aaina e Qayamat